राजस्थान के लोकदेवता भगवान देवनारायण को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। भगवान देव नारायण ने औषधि के रूप में गाय के गोबर और नीम का महत्व समझाया था। यही कारण है कि आज भी इनकी पूजा नीम के पत्तों से की जाती है। देवनारायण जी के मंदिर में मूर्ति के स्थान पर ईटों की पूजा करने की प्रथा है।
जय श्री देव हरे, स्वामी जय श्री देव हरे ।
जनम जनम के पातक, क्षण में दूर करे ॥
उत्पत्ति पालन संहार से, प्रभु क्रीड़ा करता ।
देव अर्थ का निशदिन, जो हृदये धरता ॥
जय श्री देव हरे, स्वामी जय श्री देव हरे ।
सब प्रपंच का सुन लो, ईश्वर आधारा ।
नारायण शब्दार्थ लख, हरि उर धारा ॥
जय श्री देव हरे, स्वामी जय श्री देव हरे ।
देव है ब्रह्मा विष्णु, और शंकर देवा ।
देव है गुरु पितृ माता, जान करो सेवा ॥
जय श्री देव हरे, स्वामी जय श्री देव हरे ।
जब जब धर्म नशावे, पाप बढ़े भारी ।
तब तब प्रगटो स्वामी, भक्तन हितकारी ॥
जय श्री देव हरे, स्वामी जय श्री देव हरे ।
धन विद्या तुम देते, तुम सब कुछ दाता ।
तुम बिन और नाँहि, कोई नहीं आता ॥
जय श्री देव हरे, स्वामी जय श्री देव हरे ।
इष्ट देव सब जग के, हो अन्तर्यामी ।
प्राणी मात्र की रक्षा,करते तुम स्वामी ॥
जय श्री देव हरे, स्वामी जय श्री देव हरे ।
देवनारायण की आरती, हित चित से जो गावे ।
भैरा राम मन वांछित,फल निश्चित पावे ॥
जय श्री देव हरे, स्वामी जय श्री देव हरे ।